एक ऐतिहासिक मोड़ पर यूक्रेन
2022 से अब तक जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूक्रेन को हर क्षेत्र में झकझोर कर रख दिया है – सैन्य, आर्थिक, और राजनीतिक। ऐसे कठिन समय में यूक्रेन की संसद ने एक साहसिक कदम उठाते हुए यूलिया स्वाइरिडेंको (Yulia Svyrydenko) को प्रधानमंत्री बनाया है।
यह न सिर्फ एक राजनीतिक बदलाव है, बल्कि युद्धकाल के दौरान पहली बार एक महिला को शीर्ष नेतृत्व सौंपा जाना, यूक्रेन के इतिहास में नई इबारत लिखता है।
उनका राजनीतिक और प्रशासनिक सफर
पूर्व भूमिकाएं:
- उप प्रधानमंत्री (2021–2025)
- आर्थिक विकास एवं व्यापार मंत्री
- COVID-19 आर्थिक रिकवरी टास्क फोर्स की प्रमुख
मुख्य उपलब्धियां:
- युद्धकाल के दौरान GDP में 8% की स्थिरता लाना
- नाटो और EU देशों के साथ 20+ आर्थिक समझौते
- देश में डिजिटल टैक्स प्रणाली लागू करना
प्रधानमंत्री बनने के पीछे की रणनीति
वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के नेतृत्व वाली सरकार अब धीरे-धीरे युद्ध से “स्थिर शासन और विकास” की दिशा में बढ़ रही है। यूलिया को नियुक्त करना इस बदलाव की रणनीति का हिस्सा है।
तीन मुख्य उद्देश्य:
- राष्ट्रीय हथियार निर्माण को बढ़ाना
- युद्ध-प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण
- युवाओं को डिजिटल डिफेंस और साइबर सुरक्षा में जोड़ना
युद्धकाल में महिला नेतृत्व की चुनौतियाँ
युद्ध जैसे तनावपूर्ण माहौल में यूलिया को सिर्फ दुश्मनों से नहीं, बल्कि आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता से भी जूझना होगा।
उनके सामने चुनौतियाँ हैं:
- सेना और उद्योगों में भ्रष्टाचार पर लगाम
- युद्ध की थकान से जूझते नागरिकों में भरोसा बनाए रखना
- रूस की संभावित प्रतिक्रिया से निपटना
अंतरराष्ट्रीय मंच पर संदेश
“यूक्रेन अब सिर्फ लड़ नहीं रहा, वो आगे बढ़ने की भी सोच रहा है।”
– EU विदेश नीति प्रमुख
यूलिया की नियुक्ति को अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, और UK ने खुले तौर पर सराहा है। उन्हें एक ऐसी विजनरी नेता माना जा रहा है जो युद्ध से परे जाकर भविष्य की सोचती हैं।
भारत के लिए क्या मायने?
भारत ने यूक्रेन से तेल, अनाज और रक्षा उपकरण के कई व्यापारिक समझौते किए थे। यूलिया की अगुवाई में इन संबंधों के और मजबूत होने की संभावना है। साथ ही, भारत यूक्रेन में पुनर्निर्माण कार्यों में तकनीकी साझेदारी कर सकता है।
निष्कर्ष
यूलिया स्वाइरिडेंको की नियुक्ति यूक्रेन के लिए सिर्फ एक राजनीतिक निर्णय नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायक संदेश है –
“जब पूरी दुनिया युद्ध में उलझी हो, तब भी एक देश नेतृत्व में बदलाव कर सकता है और उम्मीद का रास्ता चुन सकता है।”
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